श्रीमाँ ने आश्रम के मुख्य भवन में निवास करने वाले समर्पित साधक स्वर्गीय बुला से कहा था कि रात के समय कोई समाधि पर न जाये क्योंकि रात में देवता वातावरण में से उस सब कलुष को स्वच्छ करते हैं जिसे मनुष्य दिन में समाधि के पास छोड़ जाते हैं ।
संदर्भ : श्रीअरविंद एवं श्रीमाँ की दिव्य लीला
जिसने एक बार अपने-आपको भगवान् के अर्पण कर दिया उसके लिए इसके सिवा कोई और…
जो व्यक्ति पूर्ण योग की साधना करना चाहता है उसके लिये मानवजाति की भलाई अपने-आप…
भगवान् क्या है? तुम श्रीअरविन्द के अन्दर जिनकी आराधना करते हो वे हीं भगवान् हैं…
श्रद्धा-विश्वास अनुभव पर नहीं निर्भर करता; वह तो एक ऐसी चीज है जो अनुभव के…