श्रीमाँ ने आश्रम के मुख्य भवन में निवास करने वाले समर्पित साधक स्वर्गीय बुला से कहा था कि रात के समय कोई समाधि पर न जाये क्योंकि रात में देवता वातावरण में से उस सब कलुष को स्वच्छ करते हैं जिसे मनुष्य दिन में समाधि के पास छोड़ जाते हैं ।
संदर्भ : श्रीअरविंद एवं श्रीमाँ की दिव्य लीला
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…