मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ?
अगर तुम धीरज के साथ इसके लिए अभीप्सा करो तो यह तुम्हें हमेशा प्राप्त हो सकता है। लेकिन, अगर तुम वह प्रकाश चाहते हो तो उसके लिए मूलभूत शर्त यह है कि तुम्हें अन्य सभी मानसिक प्रभावों से पिण्ड छुड़ाना होगा ।
संदर्भ : श्रीअरविंद अपने विषय में
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…