यह आश्रम दूसरे आश्रमों की तरह नहीं है – यहाँ के सदस्य सन्यासी नहीं हैं, वास्तव में यहाँ योग का एकमात्र लक्ष्य मोक्ष नहीं है। यहाँ जो कुछ किया जा रहा है वह एक कार्य की तैयारी है – ऐसे कार्य की जो यौगिक चेतना और योगशक्ति पर स्थापित होगा, और जिसका दूसरा कोई आधार नहीं हो सकता। इस बीच, प्रत्येक सदस्य से यहाँ यह आशा की जाती है कि वह इस आध्यात्मिक तैयारी के अंग के रूप में आश्रम में कुछ कार्य करेगा ।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग-२)
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…