श्रद्धा निश्चित रूप से हमें भागवत कृपा द्वारा दिया गया उपहार है। …
अपनी श्रद्धा की उसी तरह निगरानी करनी चाहिए जैसे कोई किसी अत्यधिक मूल्यवान वस्तु के जन्म के समय करता है और इसका उन सब चीजों से सावधानी के साथ बचाव करना चाहिए जो इसे हानि पहुंचा सकती है ।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर (१९५७-१९५८)
अगर तुम्हारी श्रद्धा दिनादिन दृढ़तर होती जा रही है तो निस्सन्देह तुम अपनी साधना में…
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…