श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

श्रद्धा की निगरानी

श्रद्धा निश्चित रूप से हमें भागवत कृपा द्वारा दिया गया उपहार है। …

अपनी श्रद्धा की उसी तरह निगरानी करनी चाहिए जैसे कोई किसी अत्यधिक मूल्यवान वस्तु के जन्म के समय करता है और इसका उन सब चीजों से सावधानी के साथ बचाव करना चाहिए जो इसे हानि पहुंचा सकती है ।

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर (१९५७-१९५८)

शेयर कीजिये

नए आलेख

प्रार्थना

(जो लोग भगवान की  सेवा  करना चाहते हैं  उनके लिये एक प्रार्थना ) तेरी जय…

% दिन पहले

आत्मा के प्रवेश द्वार

यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…

% दिन पहले

शारीरिक अव्यवस्था का सामना

जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…

% दिन पहले

दो तरह के वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…

% दिन पहले

जब मनुष्य अपने-आपको जान लेगा

.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…

% दिन पहले

दृढ़ और निरन्तर संकल्प पर्याप्त है

अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…

% दिन पहले