श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

शरीर को छोड़ना कोई हल नहीं

चूंकि मेरी प्रकृति कमजोर है इसलिए साधारण चीजों को त्यागना कठिन हो जाता है। लेकिन, यह निश्चित है कि मैं केवल आपको ही चाहता हूँ। अगर आप न हों तो मृत्यु – और कुछ नहीं । 

मरने का कोई प्रश्न ही नहीं हैं । शरीर को छोड़ना कोई हल नहीं है। तुम अपनी कामनाओं में ही रहते हो और यह ज़्यादा खराब है। यह बहुत ज़्यादा समझदारी की और सच्ची बात है कि यह समझ कर कामनाओं को मर जाने दो कि वे कितनी मूर्खताभरी और व्यर्थ है ।

चूंकि तुम भागवत जीवन को इतना अधिक चाहते हो इसलिए तुम्हें असफलता से न डरना चाहिये, क्योंकि सच्ची और सतत अभीप्सा हमेशा पूरी होती है ।

अपनी कमजोरियों को जीतने का दृण निश्चय करो और तुम देखोगे कि यह इतना मुश्किल नहीं है जितना दिखता है । बाधाओं को पार करने के लिए मेरी शक्ति तुम्हारे साथ है और मेरे आशीर्वाद भी ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)

शेयर कीजिये

नए आलेख

साधना में प्रगति

अगर तुम्हारी श्रद्धा दिनादिन दृढ़तर होती जा रही है तो निस्सन्देह तुम अपनी साधना में…

% दिन पहले

आध्यात्मिक जीवन की तैयारी

"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…

% दिन पहले

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले