वस्तुतः मैं तुम्हें विश्वास दिला सकती हूं कि पेट में दर्द और अन्य बहुत-से असुख ९० प्रतिशत गलत तरीके से सोचने और प्रबल कल्पनाएं करते रहने से आते हैं-कहने का मतलब यह है कि उनके लिए भौतिक आधार प्रायः नगण्य होता है।
प्रेम और आशीर्वाद सहित।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…