श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

शक्ति को खींचने की कोशिश

मैं तुम्हें एक चीज की सलाह देना चाहती हूँ। अपनी प्रगति की इच्छा तथा उपलब्धि की अभीप्सा में इसका ध्यान रखो कि कभी शक्तियों को अपनी ओर मत खींचो। अपने-आपको दे दो, निरंतर आत्म-विस्मृति द्वारा जितनी नि:स्वार्थता तुम प्राप्त कर सकते हों उतने निःस्वार्थ-भाव से अपने-आपको खोलो, अपनी ग्रहणशीलता को जितना अधिक हो सकें बढ़ाओ, परन्तु ‘शक्ति’ को अपनी ओर खींचने की कभी कोशिश मत करो, क्योंकि खींचने की इच्छा करना ही एक खतरनाक अहंकार है । तुम अभीप्सा कर सकते हो, अपने-आपको खोल सकते हो, अपने-आपको दे सकते हो पर लेने की इच्छा कभी मत करो । जब कुछ बिगड़ जाता है तो लोग ‘शक्ति’ को दोष देते हैं, पर इसके लिये उत्तरदायी शक्ति नहीं है; यह पात्र की महत्वाकांक्षा, अहंकार, अज्ञान और दुर्बलता है जो उत्तरदायी है ।

उदारता एवं पूर्ण नि:स्वार्थता के साथ अपने-आपको दे दो और अधिक गहरे अर्थ में तुम्हारे साथ कभी कुछ बुरा नहीं होगा । लेने की कोशिश करो और तुम खाई के मुंह पर होंगे ।

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५७-१९५८ 

 

शेयर कीजिये

नए आलेख

आत्मा के प्रवेश द्वार

यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…

% दिन पहले

शारीरिक अव्यवस्था का सामना

जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…

% दिन पहले

दो तरह के वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…

% दिन पहले

जब मनुष्य अपने-आपको जान लेगा

.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…

% दिन पहले

दृढ़ और निरन्तर संकल्प पर्याप्त है

अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…

% दिन पहले

देशभक्ति की भावना तथा योग

देशभक्ति की भावनाएँ हमारे योग की विरोधी बिलकुल नहीं है, बल्कि अपनी मातृभूमि की शक्ति…

% दिन पहले