श्रेणियाँ संस्मरण

वृद्ध होने के बारे में श्रीमां

बड़ी उम्र में श्रीमां को दिनानुदिन अधिकाधिक फुतीला, उत्साहपूर्ण, युवा देख हमारे हृदय में उनकी वही वाणी गूंजा करती थी जो एक बार बातचीत के दौरान उन्होंने वृद्धावस्था के बारे में कही थी : “बुढ़ापा दो सुझावों से आता है। पहला है-सामान्य सामूहिक सुझाव-लोग कहते हैं, “अब तुम बुढ़ा रहे हो, फलाना-फलाना काम नहीं कर सकते।” दूसरा व्यक्तिगत सुझाव भी होता है जो बार-बार दोहराता रहता है, “मैं बूढ़ा हो रहा हूं, मुझे इस काम में हाथ नहीं डालना चाहिये, मुझे उस काम को करने का जोखिम नहीं उठाना चाहिये; आदि-आदि।” लेकिन सच एकदम अलग ही है। तीस के पहले व्यक्ति आवेगों के जाल में फंस कर बेतहाशा ऊर्जा खर्च करता है। तीस के बाद वह स्थिर होना शुरू करता है। उसके अन्दर ऊर्जा का भण्डार होता है और उससे आशा की जाती है कि वह उसका सही उपयोग करे। पचास की उम्र में व्यक्ति खिलना शुरू करता है। अस्सी की उम्र में वह सम्पूर्ण विकास और वृद्धि के योग्य हो जाता है।

-अमल किरण (के. डी. सेठना)

शेयर कीजिये

नए आलेख

अपने चरित्र को बदलने का प्रयास करना

सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…

% दिन पहले

भारत की ज़रूरत

भारत को, विशेष रूप से अभी इस क्षण, जिसकी ज़रूरत है वह है आक्रामक सदगुण,…

% दिन पहले

प्रेम और स्नेह की प्यास

प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…

% दिन पहले

एक ही शक्ति

माताजी और मैं दो रूपों में एक ही 'शक्ति' का प्रतिनिधित्व करते हैं - अतः…

% दिन पहले

पत्थर की शक्ति

पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…

% दिन पहले

विश्वास रखो

माताजी,  मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब…

% दिन पहले