यह कहने की जरूरत नहीं कि मेरी सहायता और शक्ति तीव्रता के साथ उन लोगों के साथ है जो मेरे साथ मिलकर इस वस्तुस्थिति के साथ जूझ रहे हैं। मैं बस उनसे इतना ही चाहती हूँ कि वे विश्वास बनाये रखे और सहन करें।
सत्य की विजय अवश्य होगी । साहस बनाए रखो।
प्रेम और आशीर्वाद के साथ ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
जो लोग इस कारण यातना भोगते हैं कि उन्हें किसी तथाकथित संन्यासी से परिचित होने…
तुम दुःखी, बहुत उदास, निरुत्साहित और अप्रसन्न हो जाते हो : "आज चीज़ें अनुकूल नहीं…
मैं तुम्हें एक चीज की सलाह देना चाहती हूँ। अपनी प्रगति की इच्छा तथा उपलब्धि…