विरोधी शक्तियों का प्रतिरोध

आक्रमण और वैश्व शक्तियों की क्रिया के सम्बन्धमें-जब प्रगति तेजीसे हो रही होती है, और सुनिश्चित होनेकी दिशा में बढ़ रही होती है तब बहुत सामान्य रूप से यह पाया जाता है कि ये आक्रमण प्रचण्ड हो जाते हैं विशेष कर यदि उन्हें लगे कि वे आन्तरसत्ता पर सफलता पूर्वक धावा नहीं बोल सकते तो वे बाहरी आक्रमणों से विचलित करनेकी चेष्टा करते हैं। व्यक्तिको इसे बलकी कसौटी के रूपमें, प्रकाश और शक्ति के प्रति अपनी स्थिरता और उद्घाटन की सब क्षमताओंको एकत्रित करने के लिये पुकार के रूपमें ग्रहण करना होगा जिससे वह अपनेको अदिव्यता पर दिव्यता की विजय का और इस जगत् जालमें अन्धकार पर प्रकाश की विजय का उपकरण बना सके। तुम्हें इसी भावसे इन कठिनाइयों का तब तक मुकाबला करना होगा जब तक उच्चतर वस्तुएं तुम में इतनी दृढ़ न हो जायें कि ये शक्तियां उन पर आक्रमण न कर सकें।

सन्दर्भ : श्रीअरविन्द के पत्र (भाग-३)

शेयर कीजिये

नए आलेख

आध्यात्मिक जीवन की तैयारी

"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…

% दिन पहले

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले

क्या होगा

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी…

% दिन पहले