जब तुम लोगों के बीच में हो तो ‘परम प्रभु ‘ को अपने और लोगों के बीच में रखो। इस तरह तुम्हारी सारी सत्ता सुरक्षित रहेगी। तुम कोये की तरह उनकी सुरक्षा में रहोगे और कोई भी चीज़ तुम्हारी उस सुरक्षा को भेद न पायेगी।
संदर्भ : माँ तुमने ऐसा कहा था
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…