क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन के जिस महान् कार्य के लिए बीड़ा उठाया है उसकी पूर्णाहुति सफलता में ही होगी । क्योंकि यह वस्तुत: एक तथ्य है : हमने जो काम हाथ में लिया हैं उसके बारे में सन्देह की कोई छाया भी नहीं है… । रूपान्तर होगा ही होगा : कोई चीज उसे नहीं रोक सकती, सर्वशक्तिमान् के आदेश को कोई विफल नहीं कर सकता । समस्त शंकाशीलता और दुर्बलता को उठा फेकों और उस महान् दिवस के आने तक कुछ समय वीरता के साथ सहन करने का निश्चय करो, यह लम्बा युद्ध चिर विजय मे बदल जायेगा ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
कृपया बतलाइये कि मैं अपने अतीत से कैसे पिण्ड छुड़ा सकता हूँ, जो इतने जोर…
सन्यासी होना अनिवार्य नहीं है - यदि कोई ऊपरी चेतना में रहने के बजाय आन्तरिक…
बाहरी रंग-रूप से निर्णय न करो और लोग जो कहते हैं उस पर विश्वास न…
भगवान् तुम्हारी अभीप्सा के अनुसार तुम्हारे साथ हैं । स्वभावत:, इसका यह अर्थ नहीं है…
मां, ग्रहणशीलता किस बात पर निर्भर करती है? इसका पहला आधार है सच्चाई-व्यक्ति सचमुच ग्रहण…