रूपांतर के लिए भगवान को निरन्तर याद रखना अनिवार्य है।
और जब परम प्रेम की अभिव्यक्ति का दिन आयेगा, परम प्रेम के पारदर्शक, सघन अवतरण का दिन आयेगा तो वस्तुतः वही रूपांतर का क्षण होगा। क्योंकि कोई चीज़ उसका प्रतिरोध न कर सकेगी।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
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