अपने मन को पूरी तरह अपनी कठिनाई से मोड़ लो और पूरी तरह ऊपर से आने वाली ज्योति और शक्ति पर केंद्रित रहो और भगवान तुम्हारे शरीर के साथ जो उचित करना समझे उन्हें करने दो । अपनी भौतिक सत्ता की पूरी-पूरी ज़िम्मेदारी उनके ऊपर छोड़ दो ।
यही उपचार है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
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पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…