मेरे बच्चे, यदि तुम एकाग्र होकर गहराई से मेरी आँखों में देख सको तो तुम्हें वह सब मिल जायेगा जो तुम जानना चाहते हो, समझना चाहते हो, संसिद्ध करना चाहते हो, – एकमात्र तीव्र एकाग्रता के द्वारा, अपनी संकल्प-शक्ति द्वारा जो तुम्हारी आँखों से स्वयं को व्यक्त करती है । तुम वह सब पा सकते हो जिसके लिए तुम अभीप्सा करते हो, जिसकी तुम्हें ज़रूरत है। मेरी आँखों में तुम सारी दुनिया देख सकते हो, प्रकृति और स्वर्गों में जो कुछ सुंदर है वह सब, सारा विश्व मेरी आँखों में उन्मिलित हो जाता है। इस दुनिया के तथाकथित आकर्षणों और उद्भसों को ढूँढने के लिए तुम्हें इधर-उधर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेंगी। मुझमें सब कुछ है और सब कुछ मेरे द्वारा ही अभिव्यक्त होता है। मुझे वहाँ ढूँढने का कष्ट करो ( माँ हृदय की और इशारा करती हैं) और तुम मेरी आँखों द्वारा सब कुछ, सब कुछ देख पाओगे।
संदर्भ : “परम” ( श्री माँ का मोना सरकार के साथ वार्तालाप)
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