श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

मृत व्यक्ति से सम्बंध

इस दृष्टिकोण से यह कहा जा सकता है कि यदि तुम्हारा किसी मृत व्यक्ति के साथ, जो शरीर छोड़ चुका है, प्रगाढ़ और सच्चे प्यार का सम्बन्ध
था और यदि तुम स्वयं काफी स्थिर और दृढ़ हो तो वह व्यक्ति कम या ज्यादा लम्बे समय के लिए, अपने प्राण के लिए तुम्हारे वायुमण्डल में-
अपने प्रियजन के वायुमण्डल में-आश्रय ले सकता है। इस हालत में इसका अर्थ होगा कि सम्बन्ध बहुत निकट का था, बहुत अन्तरंग था, और यदि
तुम इतने जड़वादी नहीं हो कि कोई सीधा मानसिक बोध ही न हो तो तुम इस व्यक्ति के साथ मानसिक रूप में सम्बन्ध बनाये रख सकते हो; उससे
आदान-प्रदान कर सकते हो। ऐसा बहुत विरल होता है, क्योंकि आम तौर पर यदि तुम्हारा वायुमण्डल काफी स्थिर और दृढ़ है और सचमुच सुरक्षा
प्रदान कर सकता है तो वह व्यक्ति जो शरीर छोड़ चुका है, वहां गहन विश्रान्ति में चला जाता है और उसे परेशान करना बिलकुल अनुचित है;
सबसे अच्छा तो यह होगा कि तुम उस व्यक्ति को अपने प्यार में लपेट लो और शान्ति से रहने दो।

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५७-१९५८

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले