मार्गदर्शक स्वयं तुम्हारें अपने अन्दर है। यदि तुम केवल ‘उसे’ पा सको और ‘उसकी’ आवाज़ सुन सको, तब तुम यह नहीं पाओगे कि लोग तुम्हारी बात नहीं सुनेंगे, क्योंकि लोगों के अन्दर एक आवाज़ उठेगी जो उन्हें सुनने के लिए बाध्य करेगी। वह आवाज़ और वह शक्ति तुम्हारें अपने अन्दर है। यदि तुम इसे अपने अन्दर महसूस करते हो, यदि तुम इसकी उपस्थिती में जीते हो, यदि यह तुम्हारा अपना का रूप ले चुकी है, तब तुम देखोगे कि तुमसे निकला एक शब्द दूसरों में प्रत्युतर की आवाज़ जगा देगा …
संदर्भ : श्रीअरविंद (खण्ड-१)
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…