(महाकाली के कार्य के बारें मे माताजी का वक्तव्य)
समस्त विनाश के पीछे, चाहे वे प्रकृति के भूकंप, ज्वालामुखी, तूफान, बाढ़ आदि विकट, असीम विनाश हों या या मानव उग्रता और हिंसा द्वारा लाये गए युद्ध, क्रांति, विद्रोह आदि, उनमें मैं काली की शक्ति देखती हूँ जो पार्थिव वातावरण मे रूपांतर की गति को तेज करने के लिये कार्य कर रही हैं।
वह सब, जो केवल तत्वत: ही नहीं बल्कि चरितार्थता में भी दिव्य है, वह इन विनाशों से ऊपर और उनसे अछूता रहता है। इस तरह विनाश का परिमाण अपूर्णता परिमाण बताता है।
इन विनाशों को बार-बार दोहराये जाने से रोकने के लिये सबसे अच्छा तरीका है उनसे पाठ सीखना और आवश्यक प्रगति करना ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
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