अपवादों को छोड़ कर, अपने कुटुम्बी-जनों के लिए तथा उनके लिए जिनसे हम गाड़ी, जहाज़ या ट्राम आदि में मिलते हैं, यह भौतिक सहायता
ही सर्वोत्तम सहायता होती है और इसका रूप होता है आर्थिक सहायता, बीमारी या संकट के समय सहायता।
जो लोग कलात्मक या अन्य रुचियों के सादृश्य के कारण हमारी ओर आकर्षित हुए हैं हमें उनकी संवेदनशील सत्ता की सहायता करनी चाहिये।
यह हम उनकी संवेदक शक्तियों को उचित, सन्तुलित करके या उसको सम्यक् दिशा दिखा कर कर सकते हैं।
जिनके साथ हमारा सम्पर्क प्रगति की अभीप्सा के सादृश्य के कारण हुआ है उनकी सहायता हम अपने उदाहरण द्वारा उन्हें मार्ग दिखा कर,
अपने प्रेम के द्वारा उनके मार्ग की कठोरता को कम करके कर सकते हैं। अन्त में, जो लोग हमारे निकट मानसिक आकर्षणों को लेकर आते
हैं उनके प्रति हमारा कर्तव्य यह है कि हम उनकी बुद्धि के प्रकाश को तेज़ करें, यदि सम्भव हो तो उनके विचार-क्षेत्र को विस्तृत और उनके आदर्श
को आलोकित करें।
संदर्भ : पहले की बातें
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…