भूतकाल की लहरों को अपने पास से बह कर दूर चले जाने दो, जो समस्त आसक्तियों और समस्त दुर्बलताओं को भी अपने साथ बहा ले जायें। भागवत चेतना का आलोकमय आनन्द उनका स्थान लेने के लिए प्रतीक्षा कर रहा है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – १)
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…