श्रीअरविंद के एक शिष्य बापालाल एक भूतहे घर में रहते थे। उस घर में रहने वाला शैतान भूत अक्सर घर की वस्तुएँ गायब कर देता था। किन्तु ये चीज़ें कुछ दिन बाद वापस लौट आती थी इसलिये बापालाल विशेष चिंता नहीं करते थे । किन्तु एक दिन उनकी तिजोरी में रखे आभूषण, सोना-चांदी और कागज गायब हो गए। अब उनकी सहनशक्ति जवाब दे गयी और कुछ करना आवश्यक हो गया। उन्होने तुरंत श्रीअरविंद को पत्र लिखकर रक्षा की प्रार्थना थी ।
श्रीअरविंद ने उन्हें आदेश भिजवाया, “बापालाल से कहो वह भूत को आभूषण लौटने का आदेश दे और उससे कहे, “मैं तुम्हें श्री अरविंद और श्रीमाँ का नाम लेकर आज्ञा देता हूँ कि भविष्य में और कोई दृष्टता न करना। ‘ ”
बापालाल ने निर्देश का पालन किया। उसी समय तिजोरी से लुप्त हुई सभी वस्तुएँ वापस आ गई। भूत ने वह घर छोड़ दिया और फिर कभी दिखाई नहीं दिया।
(यह कथा मुझे सुश्री उषा देसाई ने सुनाई थी। )
संदर्भ : श्रीअरविंद और श्रीमाँ की दिव्य लीला
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…