भारत को, विशेष रूप से अभी इस क्षण, जिसकी ज़रूरत है वह है आक्रामक सदगुण, ऊँचे आदर्शवाद की भावना, साहसपूर्ण सृजनशीलता, निर्भीक प्रतिरोध, हिम्मत के साथ आक्रमण। निष्क्रिय तामसिक भावना तो हमारे पास पहले से ही अत्यधिक है।
संदर्भ : श्रीअरविंद (खण्ड-६)
एक आन्तरिक विनम्रता अत्यंत आवश्यक है, किन्तु मुझे नहीं लगता कि बाहरी विनम्रता बहुत उपयुक्त…
चेतना के परिवर्तन द्वारा वस्तुओं की बाहरी प्रतीतियों से निकल कर उनके पीछे की सच्चाई…
नीरवता ! नीरवता ! यह ऊर्जाएँ एकत्र करने का समय है, व्यर्थ और निरर्थक शब्दों…
जब तक कि मनुष्य अपने अन्दर गहराई में नहीं जीता और बाहरी क्रिया-कलापों को बस…