मैं अधिक-से-अधिक स्पष्ट रूप से यह देख रहा हूँ कि मनुष्य उस निरर्थक घेरे से तब तक बाहर कभी नहीं निकल सकता जिस पर मनुष्यजाति हमेशा चलती रही है, जब तक वह अपने आपको नये आधार पर खड़ा नहीं कर लेता। मुझे यह भी विश्वास है कि विश्व के लिए इस महान विजय को प्राप्त करना भारत का ‘मिशन’ है।
संदर्भ : श्रीअरविंद ( खण्ड-३६)
अगर तुम बीमार पड़ते हो तो तुम्हारी बीमारी की इतनी व्याकुलता और भय से देख-रेख…
भूतकाल के बारे में सोचते रहना बिलकुल गलत है । सच्ची विधि तो यह याद…
क्या यह हो सकता है कि एक व्यक्ति जो श्रीअरविंद की ओर खुला है, माँ…