केवल शांत स्थिरता में ही सब कुछ जाना और किया जा सकता है।
जो कुछ उत्तेजना और उग्रता में किया जाता है वह मतिभ्रंश और मूर्खता है । सत्ता में भागवत उपस्थिती का पहला चिन्ह है शांति ।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…