केवल शांत स्थिरता में ही सब कुछ जाना और किया जा सकता है।
जो कुछ उत्तेजना और उग्रता में किया जाता है वह मतिभ्रंश और मूर्खता है । सत्ता में भागवत उपस्थिती का पहला चिन्ह है शांति ।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
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