जब तुझे आदेश प्राप्त हो जाये तब तू बस उसे पूरा करने की ही फिक्र कर। बाकी चीज़ तो है बस भगवान की इच्छा और व्यवस्था जिन्हें मनुष्य संयोग और दैवयोग और भाग्य कहते है ।

संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली

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