जब तुझे आदेश प्राप्त हो जाये तब तू बस उसे पूरा करने की ही फिक्र कर। बाकी चीज़ तो है बस भगवान की इच्छा और व्यवस्था जिन्हें मनुष्य संयोग और दैवयोग और भाग्य कहते है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
ऐसी आत्माएँ होती हैं जो अपने परिवेश के विरुद्ध विद्रोह करती हैं और ऐसा लगता…
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…