जब तुझे आदेश प्राप्त हो जाये तब तू बस उसे पूरा करने की ही फिक्र कर। बाकी चीज़ तो है बस भगवान की इच्छा और व्यवस्था जिन्हें मनुष्य संयोग और दैवयोग और भाग्य कहते है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…