जब तुझे आदेश प्राप्त हो जाये तब तू बस उसे पूरा करने की ही फिक्र कर। बाकी चीज़ तो है बस भगवान की इच्छा और व्यवस्था जिन्हें मनुष्य संयोग और दैवयोग और भाग्य कहते है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
मनुष्यों की सहायता करो, परंतु उन्हें अपनी शक्ति से वंचित कर अकिंचन न बनाओ; मनुष्यों…
अब अपनी प्राण-सत्ता के द्वार पर यह नोटिस लगा दो : 'अब यहाँ किसी मिथ्यात्व…