(भय पर श्रीअरविन्द के एक सूत्र के बारे में बतलाते हुए श्रीमां ने कहा : )

…उन लोगों को भी, जिन लोगों का भाग्य सुनिश्चित है “उस चीज” के विरुद्ध हठपूर्वक, घोर संघर्ष करना पड़ता है जिसे हम अपनी सांस की हवा के साथ ग्रहण करते हुए प्रतीत होते हैं : “वह चीज” है यह आशंका, यह भय कि न मालूम क्या हो जाये। यह कितनी मूर्खतापूर्ण बात है, क्योंकि अन्तिम विश्लेषण करने पर प्रत्येक व्यक्ति का भाग्य एक ही है :जन्म लेना, जीना-अधिक या कम अच्छे रूप में और मर जाना; और फिर अधिक या कम समय तक प्रतीक्षा करना, फिर दुबारा जन्म लेना, जीना-कम या अधिक उत्तम रूप में और फिर मर जाना और इसी तरह अनिश्चित काल तक दुहराते रहना जब तक कि मनुष्य को ऐसा न लगे कि हां, अब बहुत हो गया!

भला भय किस बात का? पुरानी लीक से बाहर निकल आने का भय? मुक्त होने का भय? भविष्य में कैदी न बने रहने का भय ?

संदर्भ : विचार और सूत्र के संदर्भ में 

 

शेयर कीजिये

नए आलेख

अपने चरित्र को बदलने का प्रयास करना

सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…

% दिन पहले

भारत की ज़रूरत

भारत को, विशेष रूप से अभी इस क्षण, जिसकी ज़रूरत है वह है आक्रामक सदगुण,…

% दिन पहले

प्रेम और स्नेह की प्यास

प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…

% दिन पहले

एक ही शक्ति

माताजी और मैं दो रूपों में एक ही 'शक्ति' का प्रतिनिधित्व करते हैं - अतः…

% दिन पहले

पत्थर की शक्ति

पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…

% दिन पहले

विश्वास रखो

माताजी,  मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब…

% दिन पहले