(भय पर श्रीअरविन्द के एक सूत्र के बारे में बतलाते हुए श्रीमां ने कहा : )
…उन लोगों को भी, जिन लोगों का भाग्य सुनिश्चित है “उस चीज” के विरुद्ध हठपूर्वक, घोर संघर्ष करना पड़ता है जिसे हम अपनी सांस की हवा के साथ ग्रहण करते हुए प्रतीत होते हैं : “वह चीज” है यह आशंका, यह भय कि न मालूम क्या हो जाये। यह कितनी मूर्खतापूर्ण बात है, क्योंकि अन्तिम विश्लेषण करने पर प्रत्येक व्यक्ति का भाग्य एक ही है :जन्म लेना, जीना-अधिक या कम अच्छे रूप में और मर जाना; और फिर अधिक या कम समय तक प्रतीक्षा करना, फिर दुबारा जन्म लेना, जीना-कम या अधिक उत्तम रूप में और फिर मर जाना और इसी तरह अनिश्चित काल तक दुहराते रहना जब तक कि मनुष्य को ऐसा न लगे कि हां, अब बहुत हो गया!
भला भय किस बात का? पुरानी लीक से बाहर निकल आने का भय? मुक्त होने का भय? भविष्य में कैदी न बने रहने का भय ?
संदर्भ : विचार और सूत्र के संदर्भ में
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…