श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

भय और बीमारी

तुम्हें डरना नहीं चाहिये। तुम्हारी अधिकतर कठिनाइयां भय से आती है। वास्तव में, ९० प्रतिशत बीमारियां शरीर के अवचेतन भय का परिणाम होती है। शरीर की सामान्य चेतना में छोटी-से-छोटी शारीरिक गड़बड़ के परिणामों के बारे में एक न्यूनाधिक गुप्त चिन्ता होती है। इसे भविष्य के बारे में सन्देहभरे इन शब्दों में अनूदित किया जा सकता है: “अब क्या होगा?” इसी चिन्ता को रोकना होगा। निश्चय ही यह चिन्ता भागवत कृपा में भरोसे के अभाव, और इस बात का अचूक चिह्न है कि उत्सर्ग सर्वांगीण और पूर्ण नहीं है।

इस अवचेतन भय पर व्यावहारिक रूप में विजय पाने के लिए यह करो कि जब-जब इसका कोई भाग सतह पर आये, तब-तब सत्ता का अधिक प्रदीप्त अंश इस पर, भागवत कृपा पर पूर्ण विश्वास की आवश्यकता का और इस निश्चिति के होने का दबाव डाले कि यह भागवत कृपा हमेशा हमारे अन्दर और साथ ही औरों के अन्दर भी अच्छे-से-अच्छे के लिए कार्य कर रही है, और भागवत संकल्प के प्रति पूरी तरह और बिना कुछ बचाये अपने-आपको दे देने का दृढ़ निश्चय होना चाहिये।

शरीर को यह जानना और यह विश्वास रखना चाहिये कि उसका सार तत्त्व भागवत है और यह कि अगर भागवत कार्य के रास्ते में कोई बाधा न डाली जाये तो हमें कोई भी चीज हानि नहीं पहुंचा सकती। इस प्रक्रिया को स्थिरता के साथ तब तक दोहराते रहना चाहिये जब तक भय का आना एकदम बन्द न हो जाये और तब अगर बीमारी प्रकट होने में सफल हो जाये तो भी उसकी शक्ति और उसकी अवधि कम, बहुत कम हो जायेगी जब तक कि उस पर निश्चित रूप से विजय न पा ली जाये।

 

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवती माँ की कृपा

तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…

% दिन पहले

श्रीमाँ का कार्य

भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…

% दिन पहले

भगवान की आशा

मधुर माँ, स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह…

% दिन पहले

जीवन का उद्देश्य

अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…

% दिन पहले

दुश्मन को खदेड़ना

दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…

% दिन पहले

आलोचना की आदत

आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…

% दिन पहले