लुधियाना निवासी महाराज किशन ढंढा श्रीमाँ के भक्त हैं। एक दिन उनके परिवार के कुछ बच्चे खेल रहे थे । अचानक पास रखे हुए कुछ मोटे बाँस उन पर गिर पड़े। एक बाँस उनके भतीजे के सिर पर लगा। लड़के को चोट आई। आरम्भ में परिवार के कुछ लोगों ने चोट की ओर कुछ ध्यान नहीं दिया। बाद में किसी ने सलाह दी, “घांव गहरा है। कही यह दूषित न हो जाए। इसका इलाज कराओ । ” परिवार के लोग सचेत हुए और बच्चे को अस्पताल ले गए। उन्होने उसी समय श्रीमाँ को तार द्वारा सूचना दे दी ।
उस बच्चे के पिता देवी भद्रकाली के उपासक थे। एक रात उन्हें स्वप्न में भद्र्काली के दर्शन हुए। देवी ने बच्चे के पिता को आश्वासन दिया, “चिंता न करो, बच्चा ठीक है । “अगले दिन पिता ने भद्रकाली के दर्शन की बात महाराज किशन को बताई। वे समझ गए श्रीमाँ ही भद्रकाली के रूप में आई होंगी । फिर भी उन्होने श्रीमाँ को तार देकर पूछा की क्या भद्रकाली के रूप में उनके भाई को उन्होने ही दर्शन दिये थे। श्रीमाँ ने तार सुनकर विस्मय प्रकट किया
“ओह ! महाराज किशन ने मुझे पहचान लिया । ”
(यह कथा मुझे किशन महाराज ने सुनाई थी )
संदर्भ : श्रीअरविंद एवं श्रीमाँ की दिव्य लीला
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