झूठे गर्व से बच कर रहो – वह केवल विनाश की ओर ले जाता है । और भगवान के प्रेम को छोटा न समझो क्योंकि उसके बिना ऐसी कोई चीज़ नहीं है जिसके लिए जिया जाये ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…