अगर सचमुच तुम भगवान् से प्रेम करते हो तो इसे अचंचल और शान्त रहकर प्रमाणित करो । हर एक के जीवन में जो कुछ आता है, भगवान् के यहां से पाठ सिखाने के लिए आता है और अगर हम उसे उचित भाव से लें तो हम तेजी से प्रगति करते हैं ।
ऐसा करने की कोशिश करो ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…
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