कोई भी हर व्यक्ति को हर चीज़ बताने के लिए बाध्य नहीं है – इससे प्राय: अच्छा होने की अपेक्षा हानि हो सकती है। हर व्यक्ति को उतनी ही बात करनी चाहिये जो आवश्यक हो। निस्संदेह जो बात कही जाये वह सत्य होनी चाहिये, मिथ्या नहीं। और निश्चित रूप से धोखा देने का इरादा तो कभी नहीं होना चाहिये।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र

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