श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

प्रार्थना क्यों ?

… बहुत कठोर युक्ति-तर्कवाले लोग तुमसे कहते हैं : “तुम प्रार्थना क्यों करते हो? तुम अभीप्सा क्यों करते हो? तुम मांगते क्यों हो? भगवान् जो चाहते हैं वही करते हैं और वही करेंगे जो वे चाहते हैं।” अवश्य ही बात ठीक है, यह कहने की कोई आवश्यकता नहीं, परन्तु यह उत्कण्ठा कि : “हे प्रभो! प्रकट हो!” उनकी अभिव्यक्ति को एक अधिक तीव्र स्पन्दन प्रदान करती है।

अन्यथा, उन्होंने, इस जगत् को वैसा न बनाया होता जैसा कि यह है -संसार जो कुछ है वही फिर से बन जाने की उसकी अभीप्सा की तीव्रता में एक विशिष्ट शक्ति, एक विशिष्ट आनन्द, एक विशिष्ट स्पन्दन और उसी के लिए—“उसी के लिए”, अंशतः, खण्डशः-एक क्रम- विकास विद्यमान है।

शाश्वत रूप से पूर्ण, शाश्वत परिपूर्णता को शाश्वत रूप से अभिव्यक्त करने वाला विश्व प्रगति का आनन्द न पा सकेगा।

 

संदर्भ : विचार और सूत्र के संदर्भ में 

शेयर कीजिये

नए आलेख

आध्यात्मिक जीवन की तैयारी

"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…

% दिन पहले

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले

क्या होगा

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी…

% दिन पहले