एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती है। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी बुद्धि से बहुत महान है। इसलिए हमें यह चिंता न करनी चाहिये कि क्या होगा।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…