यदि तुम निर्बलता के विचार को दूर फेंक दो तो शक्ति लौट आएगी। किन्तु प्राणमय भौतिक सत्ता में सदा ही कोई ऐसी चीज़ होती है, जो अधिक निर्बल और बीमार होने से प्रसन्न होती है , जिससे यह अपनी करुणाजनक अवस्था का अनुभव कर सकें और उसके लिए रो-धो सकें ।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (चतुर्थ भाग)
भगवान् क्या है? तुम श्रीअरविन्द के अन्दर जिनकी आराधना करते हो वे हीं भगवान् हैं…
श्रद्धा-विश्वास अनुभव पर नहीं निर्भर करता; वह तो एक ऐसी चीज है जो अनुभव के…
मेरी प्यारी माँ, काश ! मैं अपनी अज्ञानी सत्ता को यह विश्वास दिला पाता कि…
तुम्हारा अवलोकन बहुत कच्चा है। ''अन्दर से'' आने वाले सुझावों और आवाजों के लिए कोई…