मेरे बच्चे, निरोग होने के लिए केवल इन अनुचित अभ्यासों को पूरी तरह बन्द करना ही अनिवार्य नहीं हैं बल्कि अपने विचारऔर संवेदना से इन सभी अस्वस्थ कामनाओं से छुटकारा पाना भी अनिवार्य है , क्योंकि कामनाएँ ही इंद्रियों और अवयवों को क्षुभ्ध करती और उन्हें बीमार बनाती हैं । तुम्हें कठोरता के साथ सब कुछ साफ कर देना होगा और इसके लिए तुम्हारा संकल्प पर्याप्तशाली नहीं है; मेरे संकल्प का आवाहन करो, सच्चाई के साथ उसे बुलाओ और वह तुम्हारी सहायता के लिए मौजूद होगा । तुम्हारा यह कहना ठीक है कि मेरी सहायता से तुम निश्चय ही जीत सकोगे। यह सच है, लेकिन तुम्हें सच्चाई के साथ इस सहायता को चाहना होगा और सब परिस्थितियों में उसे अपने अन्दर काम करने देना होगा ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…