जिस मनुष्य में जीवन और उसकी कठिनाइयों का मुक़ाबला धैर्य और दृढ़ता के साथ करने का साहस नहीं है, वह कभी साधना की और से भी अधिक  बड़ी आंतरिक कठिनाइयों को पार करने में समर्थ नहीं होगा। इस योग का एकदम पहला पाठ यह है कि अचंचल मन से, अटूट साहस तथा भागवती शक्ति पर सम्पूर्ण निर्भरता के साथ जीवन तथा उसकी परीक्षाओं का सामना किया जाए।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग-२)

शेयर कीजिये

नए आलेख

आध्यात्मिक जीवन की तैयारी

"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…

% दिन पहले

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले

क्या होगा

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी…

% दिन पहले