तुम्हें दो चीजें कभी न भूलनी चाहियें : श्रीअरविन्द की अनुकम्पा और दिव्य मां का प्रेम । इन दो चीजों के साथ तुम शत्रुओं को निश्चित रूप से पराजित करने और चिरस्थायी विजय पाने तक लगातार, धैर्य के साथ युद्ध करते रहोगे ।
बाहर साहस, भीतर शान्ति और भागवत कृपा पर मूक अटल विश्वास ।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग – ३)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…