श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

देश के विषय में राय

नीरवता ! नीरवता !

यह ऊर्जाएँ एकत्र करने का समय है, व्यर्थ और निरर्थक शब्दों में उन्हें इधर-उधर बिखेरने का नहीं।

जो भी देश की वर्तमान स्थिति के बारें में अपनी राय की ज़ोर से घोषणा करता है उसे यह समझ लेना चाहिये कि उसकी रायों का कोई मूल्य नहीं है और उनसे भारत-माता को अपनी कठिनाइयों में से निकलने में जरा भी सहायता नहीं मिल सकती । अगर तुम उपयोगी होना चाहते हो तो पहले अपने-आप पर संयम करो और चुप रहो।

नीरवता, नीरवता, नीरवता ।

केवल नीरवता में ही कोई महान कार्य किया जा सकता है ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)

शेयर कीजिये

नए आलेख

रूपांतर का मार्ग

भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…

% दिन पहले

सच्चा ध्यान

सच्चा ध्यान क्या है ? वह भागवत उपस्थिती पर संकल्प के साथ सक्रिय रूप से…

% दिन पहले

भगवान से दूरी ?

स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते…

% दिन पहले

कार्य के प्रति मनोभाव

अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…

% दिन पहले

चेतना का परिवर्तन

मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…

% दिन पहले

जीवन उत्सव

यदि सचमुच में हम, ठीक से जान सकें जीवन के उत्सव के हर विवरण को,…

% दिन पहले