दर्शन संदेश १५ अगस्त २०१८ (१/४)
अधिकतर मनुष्य — केवल अशिक्षित ही नहीं बल्कि पढ़े-लिखे भी —अपने सिरमें बहुत ही विरोधी,…
यदि तुम उस चेतना में रहते हो जो मनद्वारा कार्य करती है, चाहे वह उच्चतम…
वस्तुतः, तुम्हें केवल उन्हीं व्यक्तियों को अपने मित्र के रूपमें चुनना चाहिये जो तुमसे अधिक…
हमेशा अहंकार अवसाद में डूब जाता है । उसकी परवाह न करो। चुपके से अपना…
भगवान मुझसे क्या चाहते हैं ? वे चाहते हैं कि पहले तुम अपने-आपको पा लो,…
मैं रो रहा हूँ। न जाने क्यों । मन करें तो रो लो। परंतु चिंता…
जो लोग इस कारण यातना भोगते हैं कि उन्हें किसी तथाकथित संन्यासी से परिचित होने…
तुम दुःखी, बहुत उदास, निरुत्साहित और अप्रसन्न हो जाते हो : "आज चीज़ें अनुकूल नहीं…
जब कोई भूल हो तो उसका हमेशा प्रगति करने के लिए उपयोग करना चाहिये, एक…