श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

चेतना की खिड़कियाँ

हमारी मानव चेतना में ऐसी खिड़कियाँ हैं जो शाश्वत में खुलती हैं । लेकिन मनुष्य साधारणत: इन खिड़कीयों को सावधानी से बन्द रखते हैं । हमें उन्हे पूरी तरह से खोल देना और शाश्वत को बेरोक-टोक अपने अन्दर आने देना चाहिये ताकि वह हमें रूपांतरित कर सके।

खिड़कियाँ खोलने के लिए दो शर्तें जरूरी हैं :

१. तीव्र अभीप्सा ।

२. अहंकार का उत्तरोत्तर विलय ।

जो सच्चाई के साथ काम में लगते हैं उनके लिए भागवत सहायता निश्चित है ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान की व्यवस्था

ऐसी आत्माएँ होती हैं जो अपने परिवेश के विरुद्ध विद्रोह करती हैं और ऐसा लगता…

% दिन पहले

प्रार्थना

(जो लोग भगवान की  सेवा  करना चाहते हैं  उनके लिये एक प्रार्थना ) तेरी जय…

% दिन पहले

आत्मा के प्रवेश द्वार

यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…

% दिन पहले

शारीरिक अव्यवस्था का सामना

जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…

% दिन पहले

दो तरह के वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…

% दिन पहले

जब मनुष्य अपने-आपको जान लेगा

.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…

% दिन पहले