कोई क्या कर रहा है या नहीं कर रहा इसके बारे में गप्पबाज़ी करना ग़लत है।
ऐसी गप्प को सुनना ग़लत है।
यह देखना कि यह गप्प सच है या नहीं ग़लत है।
झूठी गप्पों का शब्दों में प्रतिकार करना ग़लत है।
सारी चीज़ अपने समय को नष्ट करने और अपनी चेतना को नीचे गिराने का बहुत बुरा तरीक़ा है।
जब तक कि इस घृणित आदत को वातावरण से मिटा नहीं दिया जाता तब तक ‘आश्रम’ अपने भागवत जीवन के लक्ष्य तक कभी नहीं पहुँचेगा।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…