यह कभी न भूलो कि तुम अकेले नहीं हो। भगवान तुम्हारे साथ हैं, तुम्हारी सहायता और मार्गदर्शन कर रहे हैं । ‘वे’ ऐसे साथी हैं जो कभी धोखा नहीं देते, ऐसे मित्र हैं जिनका प्रेम दिलासा और बल देता है। तुम जितना अधिक अकेला अनुभव करो उतना ही अधिक तुम उनकी ज्योतिर्मय उपस्थिती को देखने के लिए तैयार होते हो। श्रद्धा रखो और वे तुम्हारे लिए सब कुछ कर देंगे ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…