श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ
जब तुम काम करो उस समय यदि तुम एकाग्र हो सको तो तुम ठीक दस मिनट में उतना काम कर सकोगे जितने में अन्यथा एक घण्टा लग जाता। अगर तुम समय बचाना चाहो तो एकाग्र होना सीखो। ध्यान देकर काम करने से ही आदमी तेजी से काम कर सकता है और काम ज्यादा अच्छा भी होता है। अगर तुम्हारे पास आधे घण्टे का काम है-मैं यह नहीं कहती, निश्चय ही–कि यदि तुम्हें आध-घण्टा लिखना हो-नहीं, यदि तुम्हें सोचना हो और तुम्हारा मन इधर-उधर उड़ता फिर रहा हो, अगर तुम जो कुछ कर रहे हो उस पर ध्यान न देकर यह भी सोचो कि तुम क्या कर चुके हो, और क्या करने वाले हो, और इसी तरह और चीजें सोचते रहो, तो इन सबके कारण, काम में जितना समय लगना चाहिये उससे तिगुना समय नष्ट होता है। जब तुम्हारे पास बहुत अधिक काम हो तो तुम्हें, जो कर रहे हो, केवल उसी पर एकाग्र होने की आदत डालनी चाहिये। ध्यान देकर काम करने से जिस काम में एक घण्टा लग जाता वही काम दस मिनट में हो सकता है।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५३
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…