मैं हमेशा ऊपर की ओर देखती हूँ । ‘सौन्दर्य’, ‘शांति’ ,’प्रकाश’ वहाँ मौजूद हैं, वे नीचे आने के लिए तैयार हैं। अतः हमेशा अभीप्सा करो और उन्हें इस धरती पर अभिव्यक्त करने के लिए ऊपर देखो।
दुनिया की कुरूप चीजों की ओर नीचे न देखो। तुम जब कभी दु:खी होओ, तो हमेशा मेरे साथ ऊपर देखो।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
मैं तुम्हें एक चीज की सलाह देना चाहती हूँ। अपनी प्रगति की इच्छा तथा उपलब्धि…
जिसने एक बार अपने-आपको भगवान् के अर्पण कर दिया उसके लिए इसके सिवा कोई और…
जो व्यक्ति पूर्ण योग की साधना करना चाहता है उसके लिये मानवजाति की भलाई अपने-आप…
भगवान् क्या है? तुम श्रीअरविन्द के अन्दर जिनकी आराधना करते हो वे हीं भगवान् हैं…
श्रद्धा-विश्वास अनुभव पर नहीं निर्भर करता; वह तो एक ऐसी चीज है जो अनुभव के…