श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

उदाहरण सबसे अच्छा प्रशिक्षक है

उदाहरण सबसे अधिक प्रभावी प्रशिक्षक है। किसी बच्चे से ऐसे नियम-पालन के लिए कभी न कहो जिसका अनुसरण स्वयं तुम नहीं करते। स्थिर-शांति, समता, सुव्यवस्था, विधिबद्धता, व्यर्थ के शब्दों का अभाव- ये ऐसी चीज़ें हैं जिनका अध्यापक को हमेशा अभ्यास करते रहना चाहिये, यदि वह चाहता है कि उसके विद्यार्थियों  में ये गुण पैदा हों।

अध्यापक को हमेशा समय-पालन करना चाहिये। उसे हमेशा, ठीक वेशभूषा के साथ कक्षा शुरू होने से कुछ मिनट पहले आ जाना चाहिये। और सबसे बढ़ कर, उसे कभी झूठ न बोलना चाहिये ताकि उसके विद्यार्थी झूठ न बोलें, उसे कभी विद्यार्थियों पर क्रोधित न होना चाहिये ताकि विद्यार्थी कभी क्रोध न करें, और यह कह सकने के लिए : “उपद्रव का अन्त प्रायः आँसुओं में होता है,” उसके कभी उनमें से किसी पर हाथ न उठाना चाहिये।

ये बिलकुल प्रारम्भिक और मौलिक बातें है जिनका अभ्यास बिना अपवाद के हर विद्यालय में होना चाहिये।

संदर्भ : शिक्षा के ऊपर 

शेयर कीजिये

नए आलेख

केवल सत्य

तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…

% दिन पहले

रूपांतर का मार्ग

भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…

% दिन पहले

सच्चा ध्यान

सच्चा ध्यान क्या है ? वह भागवत उपस्थिती पर संकल्प के साथ सक्रिय रूप से…

% दिन पहले

भगवान से दूरी ?

स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते…

% दिन पहले

कार्य के प्रति मनोभाव

अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…

% दिन पहले

चेतना का परिवर्तन

मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…

% दिन पहले