क्या चेतना के सुधार से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति सुस्थिर हो जाती है?
यदि “चेतना के सुधार” का मतलब है बढ़ी हुई, विशालतर चेतना, उसकी अधिक अच्छी व्यवस्था तो परिणामस्वरूप बाहरी चीज़ों पर जिनमें “आर्थिक स्थिति” भी आ जाती है, स्वाभाविक रूप से ज़्यादा अच्छा नियंत्रण होगा। लेकिन जब “ज़्यादा अच्छी चेतना” होगी तो स्वाभाविक है कि व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति के जैसी चीज़ों के साथ कम व्यस्त रहेगा।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
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