श्रीमाँ के साथ आन्तरिक संपर्क बढ़े – जब तक वह न होगा, बाहरी संपर्को की बहुलता के द्वारा आसानी से अपने जीवन के उसी समान ढर्रे पर चलते रहोगे।
संदर्भ : माताजी के विषय में
जो व्यक्ति पूर्ण योग की साधना करना चाहता है उसके लिये मानवजाति की भलाई अपने-आप…
भगवान् क्या है? तुम श्रीअरविन्द के अन्दर जिनकी आराधना करते हो वे हीं भगवान् हैं…
श्रद्धा-विश्वास अनुभव पर नहीं निर्भर करता; वह तो एक ऐसी चीज है जो अनुभव के…
मेरी प्यारी माँ, काश ! मैं अपनी अज्ञानी सत्ता को यह विश्वास दिला पाता कि…