सोचो कि ” माँ मुझसे प्यार करती हैं और में माँ का हूँ ।” इस विचार को यदि तुम अपने जीवन का आधार बना लो तो जल्दी ही सब चीज़ें आसान हो जायेंगी ।
संदर्भ : माताजी के विषय में
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह…
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…
... सामान्य व्यक्ति में ऐसी बहुत-से चीज़ें रहती हैं, जिनके बारे में वह सचेतन नहीं…