अहंकार नाराज़ और बेचैन हो उठता है और यही अहंकार तुम्हारी चेतना को धुँधला बनाता और तुम्हारी प्रगति में बाधा डालता है।
अहंकार इसलिए नहीं बदलता क्यों की उसे इस निश्चिति का अनुभव होता है कि वह हमेशा ठीक होता है ।
आशीर्वाद।
संदर्भ : श्री मातृवाणी (खण्ड -१७)
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