सभी परिस्थितियों में मुस्कुराना जानना भागवत प्रज्ञा की ओर जाने का सबसे शीघ्रगामी रास्ता है।
अहंकार नाराज और बेचैन हो उठता है और यही अहंकार तुम्हारी चेतना को धुंधला बनाता और तुम्हारी प्रगति में बाधा डालता है।
अहंकार इसलिए नहीं बदलता क्योंकि उसे इस निश्चिति का अनुभव होता है कि वह हमेशा ठीक होता है।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
भगवान को अभिव्यक्त करने वाली किसी भी चीज को मान्यता देने में लोग इतने अनिच्छुक…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह…
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…